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जुगाड़ ऐसा शब्द है जो सिर्फ भारतीयों को ही समझ में आता है
कॉन्क्लेव के दूसरे दिन डिजिटाइजेशन, इनोवेशन व इन्वायरमेंट पर हुई बात
अभय प्रशाल में इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन के 28 वे आईएम इंटरनेशनल मैनेजमेंट कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कार्पोरेट सेक्टर के लीडर्स ने रीडिजाइन, रीथिंक व रीबिल्ड थीम पर चर्चा की और अपने नॉलेज को शेयर किया। इस आयोजन में शहर के बिजनेसमेन, एक्जिक्युटिव व मैनेजमेंट संस्थानों के हजारों स्टूडेंट्स ने शिरकत की और मैनेजमेंट और औद्योगिक क्षेत्र में आ रहे बदलावों के बारे में जाना।
प्रायवेट सेक्टर के बैंकों के आने से पब्ल्कि सेक्टर के बैंकों में बढ़ी प्रतिस्पर्धाएसबीआई,एलएचओ के चीफ जनरल मैनेजर राजेश कुमार ने बताया प्रायवेट सेक्टर के बैंक जब से अस्तित्व में आए तब से पब्लिक सेक्टर के बैंकों में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। यही वजह है कि अब पब्लिक सेक्टर के बैंक खुद को तकनीकी रूप से सक्षम बना रहे है।
मोबाइल बैंकिंग ने बैंक की कार्यप्रणाली को पूरी तरह बदल दिया है और यह डिजिटाइजेशन से संभव हुआ। एसबीआई के योनो एप ने मोबाइल ट्रांजेक्शन को अलग आयाम दिया है। अब इस एप से हर रोज 10 लाख ट्रांजिक्शन हो रहे है। भारत पब्लिक बैंकिंग सेक्टर में बहुत बड़ा बदलाव देख रहा है और एबीआई इस बदलाव का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
फाइनेंस सेक्टर में सरकार का हस्तक्षेप कम होसीएनबीसी—टीवी 18 की एक्जिक्युटिव एडिटर लथा वेंकटेश ने नोटबंदी पर अपने विचार रखे। इन्होंने बताया कि अगले पांच साल में निर्यात बढ़ने से देश के विकास को कोई विशेष गति नहीं मिलेगी। इन्होंने बताया कि बैंकों का राष्ट्रीकरण एक बुरा कदम है। फाइनेंस सेक्टर में सरकार का हस्तक्षेप कम होना चाहिए, सरकार को इससे बाहर आकर प्रायवेट सेक्टर को इस क्षेत्र में काम करने देना चाहिए।
जुगाड़ शब्द को आसानी से समझा नहीं सकते, इसे भारत में देखकर समझा जा सकता है
गोवर्धन ईकोविलेज के डायरेक्टर गौरांगदास ने बताया कि जिंदगी के तीन प्रिंसिपल चिंतन, संचार और बदलाव है। उन्होंने अपने आईआईटी करियर के दौरान की कहानी को शेयर करते कहा कि हर व्यक्ति के जिंदगी को देखने की विचारधारा अलग—अलग होती है। वर्तमान में पर्यावरण काफी विकट स्थिति में है। दिल्ली में जिस तरह प्रदूषण बढ़ रहा है वो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि किसी भी बदलाव की शुरू अपने घर से होती है। जुगाड़ ऐसा शब्द है जो सिर्फ भारतीयों को ही समझ में आता है, आप ये किसी को समझा नहीं सकते। यह चीज सिर्फ भारत में आकर ही देखी जा सकती है। गोर्वध ईकोविलेज में गांव को शहरों से आयुर्वेदिक सेंटर के जरिए जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है और पिछले 10 साल में 50 गांवों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जा चुका है।
इंदौर से सफाई रखना पूरा देश सीख रहा है
एयर एशिया इंडिया के सीईओ व एमडी सुनील भास्करन ने बताया कि इंदौर के साथ उनका रिश्ता काफी पुराना है जब वो पीथमपुर में टाटा कंपनी में काम करते थे। इन्होंने बताया कि सराफा शहर की एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर फूड की काफी वैरायटी मिल जाती है। आईएमए कॉन्क्लेव भी ऐसा ही यूनिक आर्गनाइजेशन है जहां पर बेहतर आयोजन के साथ विशेष खातिरदारी होती है। इन्होंने भौगोलिक बदलाव, मेगा ट्रेंड, तेजी से हो रही शहरीकरण और आर्थिक व सामाजिक विकास, तकनीक के विकास और मौसम में बदलाव के बारे में भी चर्चा की। इन्होंने इंदौर शहर को सबसे क्लीन सिटी बनने की सराहना की और कहा कि पूरा देश इंदौर से सीख रहा है।
नए आइडिया को व्यक्त करने के साथ प्रयोग में लाना ही इनोवेशन
आईआईएम इंदौर के पूर्व डायरेक्टर व आईआईएम बंगलुरू के प्रोफेसर ऋषिकेश टी कृष्णन ने बताया कि नए आइडिया को व्यक्त करना और उनको प्रयोग में लाना ही इनोवेशन हैं। कम कीमत के उपायों से भी समस्यांओं का निराकरण किया जा सकता है और यह अपने आप एक इनोवेशन है। इनोवेशन में जरूरत, जवाबदेही और अवाश्यताओं की पहचान जैसे बिंदु शामिल होना चाहिए। तभी इनोवेशन काफी कारगर हो सकता है। लाइव स्प्रिंग हॉस्पिटल्स का उदाहरण देते हुए कहा कि इन्होंने ऐसे छोटे—छोटे मेडिकल उपकरण बनाए जो सस्ते है और समाज के लिए काफी फायदेमंद है।
व्यवसाय में देश की अलग—अलग कम्युनिटी का रखना पड़ता है ध्यान
केवेंटर्स के डायरेक्टर सोहराब सीताराम ने बताया कि वर्तमान में व्यवसाय इनोवेशन व डोमेन एक्सपर्टाइज से चल रहे है। उद्यमिता एक माइंड सेड है यह बदलाव के लिए बहुत जरूरी है। व्यवसाय के लिए आपको देश की अलग—अलग कम्युनिटी का ध्यान रखना पड़ता है। हर बिजनेसमेन को अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते रहना चाहिए और अपे कार्य के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। उद्ययमिता वो होती है जब आपकी जिंदगी दुनिया से जुड़ जाती है।
मनोरंजन क्षेत्र की मार्केटिंग में आया है बदलाव
इरोज डिजिटल के मार्केटिंग वाइस प्रेसीडेंट रचिन खानिजो ने बताया कि पिछले कुछ सालों में मनोरंजन उद्योग बहुत विकसीत हुआ है। मनोरंजन में इंटरनेट, मल्टीप्लेक्स, टेलीविजन जैसे कई नए आयाम जुड़ गए है। इन आयामों से उपभोक्ता को समझने व बदलाव की शक्ति मिली हैं। आजकल सोशल मीडिया ब्रांड लोगों से दोस्तों की तरह बात कर रहे है और ये उपभोक्ता को अवसर प्रदान करते है उससे जुड़ने का। मनोरंजन क्षेत्र की मार्केटिंग में बदलाव आया और यह निरंतर इसी तरह कायम रहेगा। इन बदलावों से ही इस क्षेत्र में काफी संभावना जुड़ी है।
जापान से सीख सकते है कि कैसे आपदाओं से लड़कर फिर से खड़े हो
आईआईएम त्रिची के डायरेक्टर डॉ भीमराव मैत्रीय ने बताया कि इंदौर और त्रिची शहर देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार है। भावी पीढ़ी के बारे में बात करते हुए कहा कि ये पीढ़ी के युवा डिजिटल वल्ड में रहते है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे जापान हमेशा प्राकृतिक आपदाओं से लड़कर फिर से खड़ा हो जाता है। औद्योगिक क्रांति 4.0 का भी यह मूलमंत्र कि आप कैसे बदलाव को स्वीकार करते है।
व्यवसाय में घर के पैसे नहीं लगाए जाते, घर के पैसे तो निवेश में लगते है
पैनल डिस्क्शन में पेपरलेस पोस्टकार्डस की फाउंडर बिस्त्रिति पोददार,जेनिथ वाइपर्स ग्रुप के सीईओ यशराज भारद्वाज, कंसल्टिंग इंजीनियर्स ग्रुप की डायरेक्टर व एडमिन वीनू जैन सकलेचा व डायरेक्टर बिजनेस डेवलपमेंट हर्षिता जैन शामिल हुई। इसमें बिस्त्रिति पोददार ने पेपपरलेस पोस्टकार्ड के बारे में बात करते हुए कहा कि ये देश का सबसे बड़ा नॉन फिक्शन समुदाय है, जो लोगों को प्रेरित करता है। वीनू जैन सकलेचा ने बताया कि उनका ग्रुप महिला सशक्तिकरण के लिए काम रहा है। यशराज भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने छह साल की उम्र में अपने इंटरप्रेन्योर करियर की शुरुआत की और ये अंडर—14 क्रिकेट भी खेले है। इन्होंने बताया कि व्यवाय में कभी भी घर के पैसे नहीं लगाए जाते है। घर के पैसे तो निवेश में लगते है। व्यवसाय में दूसरों से पैसे उधार लेकर ही लगाए जाते है।
क्वांटिटी नहीं क्वालिटी को देखे
मनोज मुंतशिर ने बताया कि अमेठी से वो वो 300 रूपए लेकर मुंबई गए थे। 13 महीने की स्ट्रगल के बाद इन्हें अमिताभ बच्चन की ओर से कॉल आया। इसके बाद उन्हें केबीसी शो लिखने का मौका मिला। इन्होंने बताया कि लंबे समय तक इन्हें छोटे पर्दे सीरियल के लिए लिखना पड़ा और उसके बाद उन्हे फिल्मों में लिखने का मौका मिला। इनका लिखा तेरी गलियां… गाना बहुत चर्चित हुआ। इन्होंने कहा कि मैंने जीवन सबसे महत्वपूर्ण सीख महाभारत से ली है। मेरा ध्येय वाक्य है कि क्वांटिटी को न देखते हुए क्वालिटी को देखे।